नई दिल्ली, Gold Rate Today :- भारतीय तेल – तिलहन बाजार में हाल ही में एक परिवर्तन देखने को मिला है. सरसों, सोयाबीन तेल – तिलहन, कच्चे पाम तेल तथा पामोलिन एवं बिनौला तेल के दामों में सुधार किया गया है. यह खबर किसानों तथा उपभोक्ता दोनों के लिए ही सकारात्मक है.
सरसों के तेल की कीमत में बदलाव
खाद्य तेलों और तिलहनों में सकारात्मक बदलाव का श्रेय सरसों की सरकारी खरीद में वृद्धि को जाता है. आगे भी सरकार से उम्मीद लगाई जा रही है कि बाजार के समन्वय से तेल तिलहन उद्योग में स्थिरता तथा समृद्धि आएगी.
मूंगफली तेल तिलहन की स्थिरता
इसके विपरीत मूंगफली तेल तिलहन के भाव में विशेष कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला है तथा वह पूर्वस्तर पर ही बंद हुए हैं. इसका कारण उच्च थोक भाव पर खरीदारी का कम होना बताया जा रहा है. पेराई मिलो के सामने भी इसे आर्थिक चुनौती कहा जा रहा है. सरसों तथा मूंगफली की पेराई में चार-पांच रुपए प्रति किलो का नुकसान होता है. इसका कारण आयातित तेलों की थोक कीमतों में गिरावट है, जिससे बाजार की धारणा प्रभावित होती है.
खाद्य तेलों की खुदरा बिक्री
खुदरा बाजार में खाद्य तेल पुराने दामों पर बिक रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ रहा है. नवरात्रि तथा शादी के सीजन में खाद्य तेलों की मांग बढ़ती है. इससे तेल की कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी देखी जाती है. मिली जानकारी के अनुसार सोयाबीन तथा सूरजमुखी के आयात में वृद्धि की चर्चा ने कुछ समय के लिए बाजार में हलचल मचा दी थी. हालांकि, अब सरकारी खरीद बढ़ गई है. इसके साथ ही अब किसानो को भी अपनी सरसों की फसल को पूरी कीमत पर बेचने का आत्मविश्वास मिला है.