राजस्थान :- राजस्थान के रेगिस्तान में खेती करना बहुत मुश्किल है। लेकिन अब वहां के किसान मटर की खेती करके अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं। मटर की खेती से राजस्थान में रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। राजस्थान की जमीन में मटर की खेती के लिए विशेष तकनीक और सावधानियां की आवश्यकता होती है। इसके लिए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह की जरूरत होती है। आज हम आपको मटर की खेती के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है उस बारे में पूरी जानकारी देंगे।
मटर की खेती से बदलेगी किस्मत
मटर की खेती करने के लिए प्रति एकड़ जमीन में 50 से 60 किलोग्राम बीच की आवश्यकता होती है ।बीजों को रोग से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम या तीन ग्राम मेन्कोजेब से उपचारित किया जाता है ।बीज शोधन के बाद 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर को 10 किलोग्राम बीच में मिलाकर छाया में सुखाया जाता है। उसके बाद ही इसकी बुवाई होती है
कैसे होती है खेती
मटर की खेती करने से पहले खेत को तैयार किया जाता है। आखिरी जुताई में 200 से ढाई सौ क्विंटल सड़ी गोबर की खाद को खेत में डाला जाता है। अच्छी फसल उगाने के लिए 20 से 25 किलोग्राम नाइट्रोजन 20 किलोग्राम फास्फोरस 15 किलोग्राम पोटाश को मिलाना पड़ता है। इससे फसलों को पूरा पोषण मिलता है। मटर की खेती में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती इसीलिए इसकी खेती को राजस्थान में कर सकते हैं। मटर की बुवाई के समय अच्छी नमी का होना जरूरी है। उसके बाद फसल में फूल आने और फलियों में दाना पड़ते समय भी अच्छी नामी होनी जरूरी है ।जब मटर की फलियां तैयार हो जाती हैं तब उसे 7 से 10 दिन के अंतराल में तोड़ा जाता है।