किसान साथियों, देश में गेहूं के भाव आसमान को छू रहे हैं। गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं, जो 34,000 रुपये प्रति टन के करीब है। इस बढ़ती कीमत से आटा मिलें और अन्य खाद्य उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। बढ़ती लागत के चलते इन उद्योगों पर काफी दबाव बढ़ गया है। इस स्थिति से निपटने के लिए आटा मिल मालिकों ने सरकार से तुरंत ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) शुरू करने या गेहूं के आयात पर लगने वाले शुल्क में कमी करने की मांग की है, ताकि गेहूं की उपलब्धता बढ़ सके और इसकी कीमतों में गिरावट आ सके।
सरकार की OMSS पर क्या है अपडेट
सरकार द्वारा ओएमएसएस (Open Market Sale Scheme) को अभी तक शुरू नहीं किया गया है, जिसके कारण बाजार में गेहूं की उपलब्धता सीमित है। सरकार फिलहाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से ही गेहूं का वितरण कर रही है। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए निजी व्यापारी गेहूं की कीमतों में मनमाने ढंग से वृद्धि कर रहे हैं। दिल्ली में गेहूं की कीमतें 3200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं और अन्य राज्यों में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है।
क्यों बढ़ रहे हैं गेहूं के भाव
गेहूं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की पिछले साल नवंबर के महीने मे दिल्ली लारेंस रोड पर गेहूं का रेट 2750 रू के आसपास था । इस साल भाव 400 रू तक तेज चल रहे हैं । जानकारों के अनुसार, इसका मुख्य कारण गेहूं की सीमित उपलब्धता है। यद्यपि उत्तर प्रदेश में कुछ मात्रा में गेहूं उपलब्ध है, लेकिन देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब में इसकी आपूर्ति में कमी आई है। Agmarket के आंकड़ों के अनुसार, गेहूं की मौजूदा औसत बाजार कीमत 2,811 रुपये प्रति क्विंटल है, जो इस साल के न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपये से काफी अधिक है। पिछले महीने ही खुदरा बाजार में गेहूं की कीमत में 2.2% की वृद्धि हुई है, जिसके कारण अब इसकी कीमत 31.98 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।
गेहूं आयात पर सरकार की तरफ से क्या है अपडेट
रबी सीजन की बुवाई को देखते हुए सरकार गेहूं के आयात पर फिलहाल रोक लगाए हुए है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो देश में अगले सीजन तक गेहूं की सप्लाई में कमी आ सकती है। इस बीच, वैश्विक बाजार में गेहूं के दाम कम होने के कारण आयात करना फायदेमंद हो सकता है। हाल ही में अल्जीरिया ने ब्लैक सी रीजन से 263 डॉलर प्रति टन के भाव पर गेहूं का आयात किया है, जो भारत के लिए भी एक संभावित विकल्प हो सकता है। सरकार संभवतः घरेलू फसल के उत्पादन के आंकड़ों का इंतजार कर रही है और उसके बाद ही आयात के फैसले पर विचार करेगी।
क्या और भी बढ़ सकते हैं गेहूं के भाव
अगले पांच महीनों में नई फसल आने तक देश में गेहूं की आपूर्ति में भारी कमी आने की संभावना जताई जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए आटा मिलर्स और उद्योग जगत ने सरकार से तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया है। उन्होंने सरकार से ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) को सक्रिय करने या आयात शुल्क में कमी करने का अनुरोध किया है। ऐसा न करने पर गेहूं और आटे की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। चूंकि गेहूं के भाव पिछले साल के मुक़ाबले 400 रु तक तेज चल रहे हैं ऐसे मे अगर सरकार कुछ एक्शन लेती है तो कुछ समय के लिए गेहूं की तेजी पर ब्रेक भी लग सकता है । बाकी व्यापार अपने विवेक से करें।