गेहूं की बुवाई के समय रखें इन पांच बातों का विशेष ध्यान, तीन गुना होगी पैदावार
Advertisements

गेहूं की बुवाई के समय रखें इन पांच बातों का विशेष ध्यान, तीन गुना होगी पैदावार

Advertisements

हिसार :- गेहूं की बुवाई का समय चल रहा है। इसे देखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार की ओर से किसानों के लिए गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) से संबंधित उपयोगी सलाह जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि कैसे किसान गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उचित किस्म, वैज्ञानिक सस्य क्रियाएं और उचित खाद की मात्रा का प्रयोग करके कम खर्च में अधिक पैदावार ले सकते हैं। गेहूं की अगेती बुवाई का समय जा चुका है। ऐसे में किसान समय पर गेहूं की बुवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह तक कर सकते हैं यानी किसान नवंबर में 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का काम पूरा कर सकते हैं।

Join WhatsApp Group Join Now
Join Telegram Group Join Now
See also  BPL Ration Card: BPL राशन कार्ड धारकों के लिए बड़ी खुशखबरी! इन लोगों को मिलेगा केवल राशन

Advertisements

गेहूं की किन किस्मों करें बुवाई

सिंचित क्षेत्रों में समय से बुवाई के लिए किसान गेहूं की उन्नत किस्में डब्ल्यूएच 1105, डब्ल्यूएच 1184, डीबीडब्ल्यू 222, डीबीडब्ल्यूएच 221, एचडी 3086, पीबीडब्ल्यू 826 और एचडी 3386 आदि किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। वहीं किसान अपने क्षेत्र के अनुसार कृषि विभाग द्वारा अनुसंशित की गई गेहूं की अन्य किस्मों का चयन कर सकते हैं।

कैसे करें गेहूं की बुवाई

विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई सलाह के मुताबिक गेहूं की बुवाई उर्वरक ड्रिल मशीन (Fertilizer Drill Machine) से करनी चाहिए। बुवाई के दौरान बीज की गहराई करीब 5 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। किसान समय से गेहूं की बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज का प्रयोग कर सकते हैं।

Advertisements
See also  School Holiday 2024: स्कूली छात्रों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, इतने दिन बंद रहेंगे स्कूल

बुवाई से पहले बीजों को कैसे करें उपचारित

गेहूं की फसल को भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए उन्हें उपचारित करना आवश्यक हो जाता है। ऐसे गेहूं में दीमक से बचाव के लिए 60 मिली क्लोरपाईरीफास 20 ईसी या 200 मिली ईथियोन 50 ईसी (फासमाइट 50 प्रतिशत) 60 मिली के पानी में मिलाकर 2 लीटर घोल बनाकर 40 किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। वहीं खुली कांगियारी व पत्तियों की कांगियारी से बचाव के लिए वीटावैक्स या बविस्टीन 2 ग्राम या टैबुकोनाजोल (रक्लिस 2 डीसी) एक ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से सूखा उपचारित किया जाना चाहिए।

बीज को छाया में सुखाने के बाद बुवाई

जैविक खाद उपचार के लिए 200 मिली एजोटोबैक्टर व 200 मिली फॉस्फोरस टीका (पी.एस.बी) प्रति 40 किलोग्राम बीज के लिए प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा गेहूं की फसल को मोल्या रोग से बचाने के लिए सूत्र कृमि ग्रस्त खेत में सरसों, चना, मेथी, सब्जी वाली फसलें आदि को फसल चक्र के रूप में उगाना चाहिए। मोल्या बीमारी प्रभावित खेतों में गेहूं की सूख में बिजाई करके तुरंत सिंचाई करनी चाहिए। अधिक संक्रमण वाले क्षेत्र में कार्बोफ्यूरान 3 जी (13 किलोग्राम) प्रति एकड़ की दर से बिजाई के समय उपयोग करना चाहिए। एजोटोबैक्टर क्रोकोम (एचटी-54) या एजोटीका का 50 मिली प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से उपचार करना चाहिए। इसके बाद बीज को छाया में सुखाने के बाद बुवाई करनी चाहिए।

See also  Sarso Mandi Bhav: सरसों के भाव में ज़बरदस्त उछाल देख किसानो के उड़े होश, धड़ाधड़ कर रहे है बिक्री

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll to Top