नई दिल्ली :- एनिमल एक्सपर्ट डॉक्टर नागेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि तराई इलाके में जानवरों को चारें में गन्ने का अगौला खिलाने का प्रचलन है, लेकिन यह प्रैक्टिस गलत है. खासतौर पर गन्ने का अगौला किसानों को बिल्कुल नहीं देना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से दुधारू पशु कम दूध देने लगते हैं. इससे किसानों को फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ता है.उन्होंने कहा कि अगौला में अधिक शुक्रोज होता है, जो पशुओं के शरीर में जाकर नुकसान करता है और दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन की प्रक्रिया को कम कर देता है. डॉक्टर ने कहा कि डेयरी व्यवसाय शुरू करने से पहले प्रशिक्षित होना और पशु के रखरखाव की सही जानकारी होना एक सफल उद्यमी बनने के लिए जरूरी है.
उन्होंने आगे बताया कि दुधारू पशु को भोजन उसकी बॉडी और वेट के तीन प्रतिशत से ज्यादा नहीं दिया जाना चाहिए. इसमें एक तिहाई भूसा यानी सूखा चारा और दो तिहाई हरा चारा होना चाहिए. इसके साथ ही, यदि किसानों को अच्छा दूध चाहिए तो उन्हें खुद अपना पशु आहार तैयार करना चाहिए. डॉक्टर ने सलाह दी कि किसान गन्ने का अगौला दुधारू पशुओं को न खिलाएं, क्योंकि इससे दूध उत्पादन में कमी आती है. किसानों को हरे चारे के रूप में बरसीम, चरी, ज्वार, बाजरा, मक्का, हाइब्रिड नैपियर जैसे पौधे देना चाहिए और बाजार का तैयार पशु आहार न देकर खुद का तैयार किया गया आहार देना चाहिए. गन्ने का अगौला खिलाने से दूध में कमी होती है, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है.