नई दिल्ली :- हर जगह प्रोपर्टी के दाम इतने बढ़ गए हैं कि अब घर खरीदना आम आदमी के लिए तो सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। घर या प्रोपर्टी खरीदने (property buying tips) में मोटी पूंजी की जरूरत होती है और इसमें कई सालों तक कमाई गई रकम भी कम पड़ जाती है। इसलिए अधिकतर लोग होम लोन लेने की योजना बनाते हैं और इसके सहारे अपना खुद का घर होने का सपना पूरा करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि कई बार होम लोन (home loan interest rates) का यह सहारा महंगा भी पड़ जाता है और आपके जीवन का लंबा समय इसे चुकाने में ही चला जाता है। खासकर होम लोन लेते समय 5 जरूरी बातों को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए, नहीं तो पछताने के सिवा आपके पास कुछ नहीं रहेगा।
1. आय व खर्चों का पहले ही कर लें आकलन-
जब भी घर खरीदने के लिए होम लोन (home loan process) लेने का प्लान करें तो पहले लोन डिफॉल्ट के जोखिमों पर जरूर विचार कर लें। लोन के लिए आवेदन करने से पहले ही अपनी वित्तीय स्थिति, नियमित आय और खर्चों का पूरी तरह से आकलन कर लेना चाहिए। आप इन 5 बातों पर होम लोन (home loan kab le) लेने से पहले ही विचार कर लेंगे तो बेहतर रहेंगे, क्योंकि आमतौर पर होम लोन की अवधि 30 साल तक होती है और इसकी ईएमआई भी काफी होती है, जिसे चुकाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
2. बचत का हिसाब लगाना जरूरी –
सबसे पहले तो आपको होम लोन (home loan repayment rules) का विचार तब करना चाहिए जब आपकी बचत आपकी ईएमआई से कहीं ज्यादा हो और आप ईएमआई भरने के अलावा अपने जरूरी खर्चों का निर्वहन कर सकें। इसलिए हर माह होने वाली बचत का आकलन जरूर कर लें। अगर आप हर महीने नियमित बचत करने में असमर्थ हैं तो लोन न लेना ही आपके लिए बेहतर निर्णय हो सकता है। इसके बजाय आप अपनी आय व बचत को बढ़ाते हुए इसे भविष्य पर टाल सकते हैं।
3. डाउन पेमेंट के लिए ऐसे लें निर्णय –
होम लोन की डाउन पेमेंट भी एक बड़ी राशि होती है। इसका खर्च उठाने में सक्षम होने पर ही आप होम लोन लेने का फैसला लें। प्रॉपर्टी की कीमत का एक प्रतिशत तो डाउन पेमेंट के रूप में ही चुकाना पड़ता है। यानी प्रोपर्टी की कुल कीमत का 20 प्रतिशत तक का हिस्सा आपको पहले ही देना होगा। जितनी डाउन पेमेंट (home loan down payment) ज्यादा करेंगे, उतनी ही आपकी लोन की राशि घट जाएगी और ईएमआई का बोझ हल्का होगा। लोन लेने से पहले प्रोपर्टी की असली कीमत से इसकी कैलकुलेशन करना न भूलें और अपना सार्म्थय भी देख लें। आपके पास कई जरूरी फंड होने इसलिए जरूरी हैं ताकि आपात स्थिति में काम आ सकें। अगर 80 लाख वाली प्रोपर्टी के लिए 15 प्रतिशत डाउन पेमेंट भी करेंगे तो 12 लाख रुपये तो आपको पहले ही जरूरत होगी। ब्याज और प्रोसेसिंग फीस (home loan processing fees) जैसे खर्चे इससे अलग रहेंगे। यह कैलकुलेशन करेंगे तो होम लोन प्रक्रिया आपकी आसान हो सकती है।
4. EMI चुकाने का सामर्थ्य देखें –
होम लोन की EMI चुकाना (Home loan EMI repayment) सबसे बड़ा काम होता है। यह समय पर हर महीने चुका पाएंगे तभी आप वित्तीय संकट और अन्य परेशानियों से बच सकते हैं। ईएमआई की राशि आपकी हर महीने की कमाई से 40 प्रतिशत नीचे ही रहनी चाहिए। नहीं तो आपकी बाकी की घर चलाने जैसी इमरजेंसी जरूरतें पूरी नहीं होंगी। जैसे-जैसे लोन की मूल राशि चुकाते जाएंगे तो EMI कम होती चली जाती है। लोन की चुकता की जाने वाली राशि आपकी आय के अनुसार आपके वित्तीय बजट को बिगाड़ने वाली नहीं होनी चाहिए। इसके लिए आप होम लोन EMI कैलकुलेटर (home loan EMI calculator) का यूज कर सकते हैं। अगर EMI आपके बेहद जरुरी खर्चों को डगमगा देने का काम करती है तो फैसले पर आपको फिर से विचार कर लेना चाहिए। ऐसे में लोन अवधि को बढ़ाकर या छोटा लोन लेना आपके लिए बेहतर रह सकता है।
5. आय के स्रोत की प्रकृति पर विचार –
आपकी आय का स्रोत क्या है और उसकी प्रकृति कैसी है यानी वह स्थायी है या नहीं, यह जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि ईएमआई तो आपको लंबे समय तक हर महीने देनी होगी। अगर आपको भविष्य में आपकी आय बढती दिखती है तो आप उसी अनुसार लोन राशि व ईएमआई (home loan EMI calculation) की गणना कर सकते हैं। अगर आप ऐसी जॉब में हैं तो नियमित वेतन वृद्धि या करियर ग्रोथ के साथ स्थिरता वाली भी है तो लोन का फैसला सही भी साबित हो सकता है। इसके विपरीत अगर नौकरी और आय अनियमित है, तो होम लोन आपको कर्ज के जाल में भी फंसा सकता है।
ये भी गौर करने योग्य बातें-
– अगर आपको को-लोनर (co loaner benefits)मिले तो इस पर विचार करना चाहिए। इसमें पति या पत्नी या माता-पिता जैसे कॉ लोनर शामिल किए जा सकते हैं। अगर कॉ लोनर की आय नियमित है तो यह चुनाव सही रह सकता है। लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान दोनों आवेदकों की आय और क्रेडिट प्रोफाइल देखकर लोन देते हैं। इससे आपको यह फायदा हो सकता है कि आपकी लोन राशि बढ़ सकती है या ब्याज दरें (home loan interest rates)घट सकती हैं। साथ ही लोन को रिपेमेंट करने वाले सभी कॉ लोनर का टैक्स छूट (tax exemption in home loan) का लाभ भी मिलेगा।
– क्रेडिट स्कोर : किसी भी तरह के लोन लेने में सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर (credit score kaise sudhare) का अहम रोल होता है। यह अगर 750 या उससे अधिक है तो आपको सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिल सकता है। इससे ईएमआई कम राशि की होती व कुल लोन रिपेमेंट का बोझ भी हल्का होगा। सिबिल स्कोर (cibil score) कम हुआ तो फिर आपको ब्याज दरें महंगी पड़ेंगी और फिर यह लोन भी महंगा पड़ेगा या फिर मिलेगा ही नहीं। इसलिए लोन लेने से पहले इसे जांच लें। अगर यह कम है तो समय पर बिलों का भुगतान करके, अपने क्रेडिट यूज करने के रेशियो को 30 प्रतिशत से कम रखकर सुधार सकते हैं।