नई दिल्ली :- यूरोपियन यूनियन (EU) का गेहूं निर्यात 2024-25 में 27 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले 6 सालों में सबसे कम रहेगा. खराब मौसम (Bad Weather) और कमजोर डिमांड इस गिरावट के पीछे बड़ी वजह हैं. EU के प्रमुख गेहूं उत्पादक देश फ्रांस और जर्मनी में खराब मौसम के चलते उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसके अलावा, ग्लोबल मार्केट में गेहूं की मांग भी कमजोर हुई है, जिससे यूरोपियन यूनियन के लिए निर्यात करना और मुश्किल हो गया है.
रोमानिया और बुल्गारिया को फायदा
यूरोपियन यूनियन के गेहूं निर्यात में हमेशा से फ्रांस की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही है, लेकिन इस साल इसका उत्पादन दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. फ्रांस में कम उत्पादन के कारण एक्सपोर्ट में भारी गिरावट आई है और इसका सीधा फायदा रोमानिया और बुल्गारिया को हुआ है. इन दोनों देशों ने यूरोपियन यूनियन के कुल गेहूं निर्यात में 23% और 16% की हिस्सेदारी हासिल कर ली है. नॉर्थ अफ्रीका का रुख रूस और यूक्रेन की ओर
फ्रांस का गेहूं खरीदने वाले नॉर्थ अफ्रीकी बाजारों ने अब काले सागर के देशों की ओर रुख कर लिया है. पहले ये बाजार फ्रांस से भारी मात्रा में गेहूं खरीदते थे, लेकिन अब रूस और यूक्रेन की ओर शिफ्ट हो गए हैं. इसकी दो वजहें हैं –फ्रांस में गेहूं की सप्लाई कम होना, जिससे वह उतनी मात्रा में निर्यात नहीं कर पा रहा है. दूसरा, रूस और यूक्रेन का गेहूं सस्ता होना, जिससे नॉर्थ अफ्रीका के देशों के लिए वह ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है.
चीन की डिमांड में 50% से ज्यादा की गिरावट
यूरोपियन यूनियन के सबसे बड़े खरीदार चीन की इम्पोर्ट डिमांड में 50% से ज्यादा की गिरावट आई है. इसका बड़ा कारण यह है कि चीन का खुद का उत्पादन इस साल बढ़ा है और उसने अपनी खरीदारी घटा दी है. साथ ही, EU से चीन को गेहूं बेचने की अनुमति सिर्फ फ्रांस और हंगरी के पास है. जबकि फ्रांस में उत्पादन पहले ही गिर चुका है, इसलिए चीन को भेजा जाने वाला गेहूं भी कम हो गया है.
कीमतों पर असर और बाजार की चुनौती
यूरोपियन यूनियन के गेहूं की कीमतों में सिर्फ 3 डॉलर प्रति टन की गिरावट देखी गई, जबकि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे दूसरे बड़े एक्सपोर्टर्स के मुकाबले यह काफी कम है. इसका मतलब यह है कि यूरोपियन यूनियन के बाजार में गेहूं की सप्लाई पहले से ही सीमित थी. हालांकि, इस सीमित सप्लाई से भी कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ, क्योंकि डिमांड ही कमजोर हो चुकी है.
आगे क्या?
फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े गेहूं उत्पादकों के कमजोर प्रदर्शन, रूस और यूक्रेन के बढ़ते प्रभाव और चीन तथा नॉर्थ अफ्रीका की डिमांड में कमी से यूरोपियन यूनियन के गेहूं निर्यात के लिए हालात चुनौतीपूर्ण हो गए हैं. ऐसे में बाजार के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह गिरावट जारी रहेगी या फिर यूरोपियन यूनियन अपनी पुरानी स्थिति में वापसी कर पाएगा?