उज्जैन के बारे में जानकारी | उज्जैन में घूमने की जगह कौन-कौन सी है उज्जैन खबर 2024?

उज्जैन के बारे में जानकारी | उज्जैन में घूमने की जगह कौन-कौन सी है 2024?

उज्जैन के बारे में जानकारी: उज्जैन खबर हाँ, दोस्तों मुझे उज्जैन के बारे में कुछ जानकारी मिली है। में आपके साथ वह जानकारी शेयर करता हु उज्जैन भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह प्राचीन समय से ही महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। उज्जैन का ऐतिहासिक महत्व मुख्य रूप से हिन्दू धर्म के तीर्थस्थलों के रूप में है। महाकालेश्वर मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो भगवान शिव को समर्पित है, उज्जैन में स्थित है और यहाँ पर महाकाल मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।

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उज्जैन के बारे में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे?

तथ्य 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकालेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग की स्थापना का ऐतिहासिक उल्लेख पुराणों में मिलता है। मंदिर के गुंबज और शिखर की विशालता और धार्मिक महत्व ने इसे एक प्रमुख धार्मिक स्थल बना दिया है। इतिहास महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास 2000 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है। स्थापत्य मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। ज्योतिर्लिंग मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। भस्म आरती यहाँ प्रतिदिन सुबह 4 बजे भस्म आरती की जाती है, जो एक विशेष अनुष्ठान है।

उज्जैन महाकाल दर्शन के लिए जानकारी?

प्रक्रिया विवरण शुल्क
दर्शन भस्म आरती, दर्शन, आरती भस्म आरती – ₹ 1500, दर्शन – ₹ 250, आरती – ₹ 100
पंजीकरण ऑनलाइन या मंदिर में ऑनलाइन – ₹ 15, मंदिर – ₹ 25
समय भस्म आरती – 4:00 AM, दर्शन – 6:00 AM – 12:30 PM, 4:00 PM – 9:30 PM
प्रवेश द्वार महाकालेश्वर मंदिर
अवधि भस्म आरती – 30 मिनट, दर्शन – 1-2 घंटे
पहनावा पुरुषों के लिए: धोती और कुर्ता, महिलाओं के लिए: साड़ी या सलवार सूट
सुरक्षा मंदिर परिसर में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती
सुविधाएं लॉकर, क्लॉक रूम, प्रसाद दुकानें
अन्य दर्शनीय स्थल रामघाट, हरि सिद्धि मंदिर, मंगलनाथ मंदिर

नोट:

भस्म आरती के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 30 दिन पहले खुलता है। दर्शन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 7 दिन पहले खुलता है। मंदिर में प्रवेश करते समय मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की अनुमति नहीं है। दर्शन के लिए लाइन में लगने की समय सीमा 2-3 घंटे हो सकती है। दर्शन के लिए अलग-अलग लाइनें हैं। जैसे सामान्य, वीआईपी, और दिव्यांग।

  • अधिक जानकारी के लिए:

श्री महाकालेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट: https://shrimahakaleshwar.com/

महाकालेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग की स्थापना का ऐतिहासिक उल्लेख?

महाकालेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग की स्थापना का ऐतिहासिक उल्लेख प्रमुखत कालिक पुराणों में मिलता है। इन पुराणों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के स्थापना के प्रसंगों का वर्णन किया गया है। विशेष रूप से ‘कोटि रुद्र संहिता’ और ‘शिव पुराण’ में महाकालेश्वर के ज्योतिर्लिंग की महत्वपूर्ण कथाएं संदर्भित की गई हैं।

इन पुराणों में वर्णित किए गए इतिहास के अनुसार, महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण भगवान शिव के पूर्वज देवगुरु बृहस्पति ने किया था। इसके अलावा, ‘कालिक पुराण’ में भी महाकालेश्वर के महात्म्य का वर्णन किया गया है। ये पुराण हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ हैं और इसी तरह महाकालेश्वर मंदिर के महत्व और स्थान का वर्णन करते हैं।

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उज्जैन शिप्रा नदी का क्या महत्व है?

उज्जैन शिप्रा नदी का क्या महत्व है?
उज्जैन शिप्रा नदी

उज्जैन के पास शिप्रा नदी के किनारे पर स्थित एक अन्य महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसे महालक्ष्मी मंदिर के रूप में जाना जाता है। पौराणिक महत्व दोस्तों शिप्रा नदी का कथन अनेक हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है। यह गंगा नदी की बहन मानी जाती है। शिप्रा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु के रक्त से उत्पन्न होने के कारण इसे “ज्वारन्घी” भी कहा जाता है। आध्यात्मिक महत्व कुंभ मेला हर 12 साल में उज्जैन में आयोजित किया जाता है, जो हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थ मेला है। महाकालेश्वर मंदिर, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। अनेक अन्य मंदिर और घाट भी शिप्रा नदी के किनारे स्थित हैं।

उज्जैन में घूमने के लिए कितने स्थान हैं?

अब दोस्तों आपको इस पोस्ट बताते है की उज्जैन में घूमने के लिए कितने स्थान हैं? आप उज्जैन के आस पास दर्शन करने के लिये कहा – कहा जा सकते है। उज्जैन में घूमने के लिए छिप्रा नदी और महाकालेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग के आसपास और धार्मिक तीर्थ स्थल स्थान के टॉप 9 नाम ये है जहा आप जा सकते है पूरा विवरण निचे देखे. 

  1. रामघाट
  2. हरसिद्धि मंदिर
  3. काल भैरव मंदिर
  4. मंगलनाथ मंदिर
  5. गोपाल मंदिर
  6. भर्तृहरि गुफा
  7. जंतर मंतर
  8. वेदाशाला
  9. उज्जैन महाकाल लोक

1. उज्जैन का रामघाट धार्मिकता और आध्यात्मिकता का संगम?

उज्जैन का रामघाट मंदिर
उज्जैन का रामघाट मंदिर

रामघाट के कुछ रोचक तथ्य इतिहास दोस्तों रामघाट का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसका उल्लेख हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में भी मिलता है। जिनमें से कुछ प्रमुख ग्रंथों का उल्लेख और उनमें रामघाट की भूमिका को निम्नलिखित क्रम में समझाया गया है:

रामघाट का उल्लेख हिंदू धर्म के ग्रंथों में:

1. रामायण: रामायण, भगवान राम के जीवन पर आधारित एक महाकाव्य है। इसमें रामघाट का उल्लेख उस स्थान के रूप में किया गया है जहां भगवान राम ने अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान किया था।

2. स्कंद पुराण: स्कंद पुराण, हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक है। इसमें रामघाट को एक पवित्र स्थान के रूप में वर्णित किया गया है और कहा गया है कि यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है।

3. भागवत पुराण: भागवत पुराण, हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक है। इसमें रामघाट को भगवान विष्णु का निवास स्थान बताया गया है।

4. पद्म पुराण: पद्म पुराण, हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक है। इसमें रामघाट को एक तीर्थ स्थान के रूप में वर्णित किया गया है और कहा गया है कि यहां आने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

5. महाभारत: महाभारत, हिंदू धर्म का एक महाकाव्य है। इसमें रामघाट का उल्लेख उस स्थान के रूप में किया गया है जहां पांडवों ने अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान किया था।

धार्मिक महत्व रामघाट को हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है। यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका आध्यात्मिक महत्व रामघाट ध्यान और योग के लिए भी एक आदर्श स्थान है। क्षिप्रा नदी का शांत जल और आसपास का वातावरण मन को शांति प्रदान करता है। पर्यटन रामघाट उज्जैन के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।

2. उज्जैन का हरसिद्धि माता मंदिर, शक्ति और भक्ति का अनूठा संगम?

उज्जैन का हरसिद्धि माता मंदिर
उज्जैन का हरसिद्धि माता मंदिर

दोस्तों हरसिद्धि माता मंदिर, उज्जैन में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो देवी हरसिद्धि के लिये समर्पित है। देवी हरसिद्धि को भगवती दुर्गा का अवतार माना जाता है और यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का केंद्र है।

मंदिर का इतिहास हरसिद्धि माता मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यह मंदिर राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया था। मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक के अनुसार, देवी सती का बायां हाथ यहाँ गिरा था।

मुख्य मूर्ति: मंदिर में देवी हरसिद्धि की भव्य मूर्ति स्थापित है। देवी को सिंह पर विराजमान और आठ भुजाओं से युक्त रूप में दर्शाया गया है।

वास्तुकला: मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। मंदिर का शिखर सोने से मढ़ा हुआ है और मंदिर के गर्भगृह में देवी हरसिद्धि की मूर्ति स्थापित है।

दोस्तों हरसिद्धि माता मंदिर एक ऐसा स्थान है जो आपको शक्ति और भक्ति का अनूठा अनुभव प्रदान करता है। मंदिर में प्रवेश करते ही आपको शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव होगा। मंदिर परिसर में देवी हरसिद्धि के भक्तों का तांता लगा रहता है। उज्जैन जाये आप महाकाल के दर्शन करने तो इस स्थान पर भी जरूर जाये।

3. उज्जैन का काल भैरव मंदिर, भक्ति और रहस्य का अनोखा संगम?

उज्जैन काल भैरव मंदिर
उज्जैन काल भैरव मंदिर

मित्रों काल भैरव मंदिर, उज्जैन में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान भैरव को समर्पित है। भगवान भैरव को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और यह मंदिर 8 भैरव मंदिरों में से एक है। उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का केंद्र है। भगवान् काल उज्जैन के भैरव मंदिर में शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है। भगवान काल भैरव को मदिरा का विशेष प्रेम है। उन्हें कई प्रकार की मदिरा चढ़ाई जाती है, जैसे कि रम, व्हिस्की, बियर, और शराब।

वही मित्रों अगर मंदिर का इतिहास की बात करे तो काल भैरव मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यह मंदिर राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया था। मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक के अनुसार, भगवान भैरव ने यहां राक्षसों का वध किया था। मंदिर की विशेषताएं है।

मुख्य मूर्ति: मंदिर में भगवान काल भैरव की भव्य मूर्ति स्थापित है। भगवान को कुत्ते पर विराजमान और भयंकर रूप में दर्शाया गया है।वास्तुकला: मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। मंदिर का शिखर सोने से मढ़ा हुआ है और मंदिर के गर्भगृह में भगवान काल भैरव की मूर्ति स्थापित है।

काल भैरव मंदिर एक ऐसा स्थान है जो आपको भक्ति और रहस्य का अनूठा अनुभव प्रदान करता है। मंदिर में प्रवेश करते ही आपको शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव होगा। मंदिर परिसर में भगवान काल भैरव के भक्तों का तांता लगा रहता है।

4. उज्जैन का मंगलनाथ मंदिर, जहाँ मंगल ग्रह को मिली उत्पत्ति?

उज्जैन का मंगलनाथ मंदिर, जहाँ मंगल ग्रह को मिली उत्पत्ति?
उज्जैन मंगलनाथ मंदिर

दोस्तों उज्जैन, धार्मिक नगरी होने के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र का भी केंद्र है। यहाँ स्थित मंगलनाथ मंदिर न केवल भगवान शिव को समर्पित है, बल्कि यह मंगल ग्रह की उत्पत्ति स्थली भी माना जाता है। मंदिर की भव्यता लाल संगमरमर से बना यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत साँचा है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का स्वयंभू लिंग स्थापित है। मंदिर के चारों ओर नक्काशीदार स्तंभ और मूर्तियां देखने लायक हैं।

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को विशेष महत्व दिया जाता है। मंगल ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति पाने के लिए लोग यहाँ आते हैं। मंगलवार को इस मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है। नवरात्रि और महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है।

मंगल ग्रह की उत्पत्ति मान्यता है कि भगवान शिव ने मंगल ग्रह को अपनी शक्ति से उत्पन्न किया था। मंगल ग्रह को मंगलनाथ मंदिर से ही अपनी ऊर्जा प्राप्त होती है। मंगल ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति पाने के लिए लोग यहाँ मंगल यंत्र की पूजा करते हैं। अगर आप भी उज्जैन जाने का प्लान बना रहे है तो यहां जरूर जाये।

5. उज्जैन का गोपाल मंदिर: भक्ति और कला का अद्भुत संगम?

उज्जैन का गोपाल मंदिर: भक्ति और कला का अद्भुत संगम?
उज्जैन गोपाल मंदिर

उज्जैन गोपाल मंदिर। उज्जैन का गोपाल मंदिर कहां स्थित है तो दोस्तों आपको बताते है उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित गोपाल मंदिर, भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक अद्भुत तीर्थस्थल है। यह मंदिर अपनी भव्यता, कला, और आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है। इतिहास और वास्तुकला की बात करे तो यह 18वीं शताब्दी में पेशवा बाजीराव द्वितीय द्वारा निर्मित, गोपाल मंदिर शिल्पकला का अद्भुत नमूना है।

दोस्तों मंदिर नागर शैली में बना है, जिसमें विशाल गर्भगृह, मंडप, और शिखर शामिल हैं। गर्भगृह में श्रीकृष्ण की कांस्य की मूर्ति स्थापित है, जो श्याम रंग में रंगी हुई है। और दोस्तों धार्मिक महत्व की बात करे तो गोपाल मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के पांच प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर द्वारकाधीश, बांके बिहारी, नाथद्वारा, और जगन्नाथ के मंदिरों के समान महत्व रखता है। भक्त यहां भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए आते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

6. भर्तृहरि गुफा उज्जैन: एक ऐतिहासिक यात्रा?

भर्तृहरि गुफा उज्जैन
भर्तृहरि गुफा उज्जैन

मित्रों उज्जैन, भारत के मध्य प्रदेश में स्थित एक प्राचीन शहर है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहाँ स्थित भर्तृहरि गुफा, एक ऐतिहासिक स्मारक है जो अपनी रहस्यमय कहानियों और अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

  • कौन थे भर्तृहरि?

भर्तृहरि, 7वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध राजा और कवि थे। उन्होंने नीति शतक, शृंगार शतक और वैराग्य शतक जैसे कालजयी साहित्यिक रचनाओं की रचना की। कहा जाता है कि राजा भर्तृहरि ने जीवन के मोह माया से विरक्त होकर, इसी गुफा में रहकर तपस्या की थी।

  • गुफा का विवरण:

भर्तृहरि गुफा, शिप्रा नदी के किनारे स्थित एक पहाड़ी पर स्थित है। यह गुफा तीन भागों में विभाजित है – एक मंडप, एक अंतराल और एक गर्भगृह। मंडप में भगवान शिव का एक लिंग स्थापित है। अंतराल में भर्तृहरि की मूर्ति स्थापित है। गर्भगृह में भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियां स्थापित हैं।

  • गुफा से जुड़ी कहानियां:

भर्तृहरि गुफा से कई रहस्यमय कहानियां जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि यहाँ भूत-प्रेतों का वास है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि भर्तृहरि आज भी इस गुफा में जीवित हैं और तपस्या कर रहे हैं।

  • पर्यटन स्थल:

भर्तृहरि गुफा, उज्जैन के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यहाँ हर साल भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। गुफा के आसपास का वातावरण शांत और मनोरम है। आप भी एक बार जरूर आइये यह।

7. उज्जैन जंतर मंतर: इतिहास, यंत्र, और दर्शनीय स्थल?

उज्जैन जंतर मंतर
उज्जैन जंतर मंतर

आइये जानते है इतिहास मित्रों उज्जैन का जंतर मंतर, 18वीं शताब्दी में जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था। यह 18वीं शताब्दी में भारत में निर्मित पांच वेधशालाओं में से एक है।

यंत्र:

यहाँ 5 मुख्य यंत्र हैं:

सम्राट यंत्र: यह सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण यंत्र है। इसका उपयोग सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की गति का अध्ययन करने के लिए किया जाता था।
नाड़ी वलय यंत्र: यह एक ध्रुवीय यंत्र है जिसका उपयोग ग्रहों की स्थिति और ऊंचाई को मापने के लिए किया जाता था।
दिगंश यंत्र: यह एक दिशा सूचक यंत्र है जो दिशाओं का निर्धारण करने में मदद करता था।
शंकु यंत्र: इसका उपयोग सूर्य की ऊंचाई और ग्लोबल टाइम को मापने के लिए किया जाता था।
भित्ति यंत्र: इसका उपयोग ग्रहों और सितारों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए किया जाता था।

  • दर्शनीय स्थल:

यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं:

कालियादेह पैलेस यह एक प्राचीन महल है जो क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है। विक्रम किर्ति मंदिर यह मंदिर सम्राट विक्रमादित्य को समर्पित है। गार्डन उज्जैन यह एक सुंदर बगीचा है जहाँ आप आराम कर सकते हैं। राजा भरथारी केव यह एक प्राचीन गुफा है जहाँ राजा भरथारी ने तपस्या की थी। अनुभव यहाँ आप खगोल विज्ञान के बारे में जान सकते हैं और प्राचीन यंत्रों को देख सकते हैं।

8. उज्जैन वेधशाला ब्रह्मांड की खोज?

उज्जैन वेधशाला ब्रह्मांड की खोज?
उज्जैन वेधशाला

दोस्तों वेधशाला एक ऐसा स्थान जहाँ खगोलविद ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने के लिए दूरबीनों और अन्य उपकरणों का उपयोग करते हैं। वे आकाशगंगाओं, ग्रहों, सितारों, और अन्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन करते हैं, ब्रह्मांड के जन्म और विकास को समझने का प्रयास करते हैं।

रोचक तथ्य दोस्तों भारत में 5000 वर्षों से वेधशालाओं का उपयोग किया जा रहा है। जयपुर में जंतर-मंतर, उज्जैन में वेधशाला, और दिल्ली में वेधशाला इसके प्रसिद्ध उदाहरण हैं। आजकल, कई वेधशालाएं स्वचालित हैं और दूरस्थ रूप से संचालित होती हैं। खगोलविद ग्रहों की खोज, ब्लैक होल का अध्ययन, और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए वेधशालाओं का उपयोग करते हैं।

वेधशालाओं में आप क्या कर सकते हैं दूरबीनों का उपयोग करके खगोलीय पिंडों को देखें। विशेषज्ञों से खगोल विज्ञान के बारे में जानें।
ग्रहों, सितारों, और अन्य खगोलीय पिंडों के बारे में प्रदर्शनियों और इंटरैक्टिव अनुभवों का आनंद लें। वेधशालाएं न केवल खगोल विज्ञान के बारे में जानने का एक शानदार तरीका हैं, बल्कि वे हमें ब्रह्मांड में अपने स्थान को समझने में भी मदद करते हैं।

9. उज्जैन महाकाल लोक, उज्जैन में स्थित महाकाल लोक किस सरकार की देन है?

उज्जैन महाकाल लोक
उज्जैन महाकाल लोक

उज्जैन में स्थित महाकाल लोक – किस सरकार की देन मित्रों उज्जैन में स्थित भव्य महाकाल लोक, जो भगवान शिव को समर्पित है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसकी आधारशिला रखी गई थी, और इसका निर्माण 2023 में पूर्ण हुआ था।

हालांकि, इस भव्य परियोजना का श्रेय किस सरकार को दिया जाए, इस पर बहस जारी है। कुछ लोग इसे शिवराज सिंह चौहान की BJP सरकार की उपलब्धि मानते हैं, जबकि अन्य इसे कमलनाथ की कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट का परिणाम बताते हैं।

वास्तविकता यह है कि महाकाल लोक का निर्माण दोनों सरकारों के योगदान का परिणाम है।

कांग्रेस सरकार कमलनाथ सरकार ने 2019 में “महाकाल वन” नामक एक परियोजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्र का विकास करना था। इस योजना में मंदिर के चारों ओर एक हरा-भरा गलियारा बनाना, भक्तों के लिए सुविधाओं का निर्माण करना और मंदिर की सुरक्षा को बेहतर बनाना शामिल था।

BJP सरकार 2020 में सत्ता में आने के बाद, शिवराज सिंह चौहान की BJP सरकार ने “महाकाल लोक” नाम से एक नई परियोजना शुरू की। इस योजना में “महाकाल वन” के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए, परियोजना का दायरा और महत्व बढ़ाया गया। इसका लक्ष्य मंदिर परिसर को एक विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल में बदलना था।

महाकाल लोक का निर्माण दोनों सरकारों के सहयोग और प्रयासों का परिणाम है। यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसने उज्जैन शहर को बदल दिया है और लाखों भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। महाकाल लोक 200 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। यह 4.5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 108 स्तंभ हैं जो भगवान शिव के 108 नामों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें एक विशाल मूर्ति है जो भगवान शिव को ‘नटराज’ रूप में दर्शाती है।

और दोस्तों जब से मोहन यादव मुख्यमंत्री बने है मध्यप्रदेश के जब से उज्जैन में और कई योजना पर काम चल रहा है। उज्जैन को बहुत ही बड़ी उपलब्धियां मिलने वाली है। आप महाकाल लोक कभी भी किसी भी टाइम घूम सकते है। यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि महाकाल लोक भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है।

उज्जैन के दर्शनीय स्थलों का समय और शुल्क?

स्थल दर्शन का समय शुल्क
रामघाट 24 घंटे खुला निःशुल्क
हरसिद्धि मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 10:30 बजे तक ₹20 (प्रवेश टिकट)
काल भैरव मंदिर सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक ₹10 (प्रवेश टिकट)
मंगलनाथ मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 12:00 बजे तक ₹20 (प्रवेश टिकट)
गोपाल मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 12:00 बजे तक निःशुल्क
भर्तृहरि गुफा सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक ₹5 (प्रवेश टिकट)
जंतर मंतर सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक ₹5 (प्रवेश टिकट)
वेदाशाला सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक ₹10 (प्रवेश टिकट)

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निष्कर्ष

अगर दोस्तों आप भी उज्जैन महाकाल की नगरी में जाना चाहते है तो ज्जैन महाकाल के दर्शन के साथ साथ इन जगहों पर भी घूम सकते है। यहाँ जाने के लिये आपको बस सुविधा टैक्सी बाइक टैक्सी जैसी सभी सुविधा मिल जाएगी। और दोस्तों इन स्थानों के आलावा और कई भी स्थान है उज्जैन में घूमने के लिये हमने आपको कुछ चुनिंदा स्थान बताये है। जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट कर के जरूर बताइये और ऐसी ही लेटेस्ट खबरों के लिये हमारे social media प्लेटफॉर्म से जुड़ जाये। हमसे सम्पर्क करने के लिये कांटेक्ट फॉर्म Contact us पर जाये 

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