RBL बैंक लिमिटेड और बजाज फाइनेंस लिमिटेड ने शुक्रवार बड़ा एलान किया. दोनों ने नए को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड जारी करना बंद कर दिया है. पिछले महीने की चर्चा के बाद शुक्रवार को कंपनियों ने इस फैसले पर सहमति जताई है. उन्होंने अपनी पार्टनरशिप में उन बदलावों की पहचान की, जिनसे उनके सहयोग पर असर पड़ा है. आरबीएल बैंक ने कहा कि इस बदलाव से उसके क्रेडिट कार्ड कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मौजूदा को-ब्रांडेड कार्ड सामान्य रूप से काम करते रहेंगे और कार्डधारक बैंक के ग्राहक बने रहेंगे. 4 सितंबर तक, आरबीएल बैंक द्वारा जारी किए गए कुल कार्ड में बजाज फिनसर्व को-ब्रांडेड कार्ड की हिस्सेदारी 41% थी. क्यों लिया फैसला?
आरबीएल बैंक के क्रेडिट कार्ड हेड बिक्रम यादव ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि बजाज फिनसर्व के को-ब्रांडेड कार्ड मंथली कार्ड जारी करने का 25-30% हिस्सा थे. यादव ने आगे कहा, “हम बजाज फिनसर्व साझेदारी से मौजूदा कार्डधारकों को सेवाएं देना जारी रखेंगे. नए कार्ड्स इसलिए जारी नहीं किए जाएंगे क्योंकि को-ब्रांडेड कार्ड साझेदारी अब रणनीति का हिस्सा नहीं है.” ऐसा दरअसल इसलिए हुआ है क्योंकि आरबीएल बैंक भी को-ब्रांडेड पार्टनरशिप का डायवर्स आधार बनाने की तलाश में है. इसे अन्य भागीदारों के साथ मिलकर 2-3 महीनों में क्रेडिट कार्ड जारी करने में कमी को पूरा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बैंक का टारगेट पर्सनल को-ब्रांडेड भागीदारों से केवल 10-15% हिस्सा लेना है. ग्राहकों को उनके मौजूदा कार्ड के साथ वही लाभ मिलते रहेंगे, जिन्हें रिन्यूएल के बाद आरबीएल बैंक ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड के रूप में फिर से जारी किया जा सकता है. आरबीएल बैंक लगभग 34 लाख को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड के मौजूदा पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट करेगा. बैंक सभी चैनलों पर सहायता प्रदान करेगा और ग्राहक सेवा बनाए रखेगा.
को-ब्रांडेड कार्ड पर निर्भरता
पिछले 18 महीनों में, आरबीएल बैंक ने डायरेक्ट चैनलों और नई पार्टनरशिप के माध्यम से अपने क्रेडिट कार्ड जारी करने में इजाफा किया है. बैंक ने बजाज फाइनेंस के साथ को-ब्रांडेड कार्ड पर अपनी निर्भरता कम कर दी है. सितंबर 2023 में, इसने 126,000 को-ब्रांडेड कार्ड जारी किए, जो सितंबर 2024 तक घटकर 37,000 रह गए. यह फैसले आरबीएल बैंक की डायवर्स पार्टनरशिप बनाने की योजना से मेल खाता है, जिसमें महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड और टीवीएस फाइनेंस लिमिटेड जैसी गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के साथ-साथ इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियां भी शामिल हैं.