लोन न भरने वालो को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये बड़ा आदेश
Advertisements

लोन न भरने वालो को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये बड़ा आदेश

Advertisements

नई दिल्ली :- लोन का भुगतान न करने के परिणाम केवल वित्तीय ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और सामाजिक भी हो सकते हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि लोन का भुगतान न करने पर क्या परिणाम हो सकते हैं, वित्तीय संस्थान किस प्रकार कार्रवाई करते हैं, और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

Join WhatsApp Group Join Now
Join Telegram Group Join Now

Advertisements

 

लोन डिफॉल्ट के परिणाम

1. वित्तीय प्रभाव

क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव

क्रेडिट स्कोर आपकी वित्तीय स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। लोन का भुगतान न करने से आपका क्रेडिट स्कोर गंभीर रूप से प्रभावित होता है, जो 7 साल तक आपके क्रेडिट इतिहास में दर्ज रहता है। CIBIL, Experian और Equifax जैसे क्रेडिट ब्यूरो हर EMI भुगतान की जानकारी रखते हैं।

Advertisements
See also  लोन की EMI नहीं भर पाने वालों को Supreme Court ने दी बड़ी राहत, बैंकों को जारी किए सख्त आदेश

एक अच्छा क्रेडिट स्कोर (750 से ऊपर) आपको कम ब्याज दरों पर लोन प्राप्त करने में मदद करता है, जबकि कम स्कोर (650 से नीचे) भविष्य में लोन प्राप्त करना कठिन बना सकता है।

अतिरिक्त शुल्क और जुर्माना

EMI का भुगतान न करने पर बैंक या वित्तीय संस्थान निम्नलिखित अतिरिक्त शुल्क लगा सकते हैं:

  • देर से भुगतान शुल्क (आमतौर पर 1-2% प्रति माह)
  • पेनल्टी इंटरेस्ट (अतिरिक्त ब्याज)
  • बाउंस चेक या ECS (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस) विफलता शुल्क

ये शुल्क तेजी से जमा हो सकते हैं और मूल ऋण राशि को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं।

2. कानूनी परिणाम

संपत्ति या संपार्श्विक की जब्ती

सिक्योर्ड लोन (जैसे होम लोन, कार लोन) के मामले में, जहां आपने कोई संपत्ति गिरवी रखी है, बैंक अपनी वसूली प्रक्रिया के तहत उस संपत्ति को जब्त कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुसार, बैंकों को ऐसा करने का कानूनी अधिकार है, परंतु उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।

See also  PNB बैंक ने साल की शुरूवात मे ही ग्राहको को दिया बड़ा तोहफा, अब घर बैठे ले सकेंगे 5 लाख रूपये का लोन

कानूनी कार्रवाई

लगातार भुगतान न करने पर बैंक निम्नलिखित कानूनी कदम उठा सकते हैं:

  • डिमांड नोटिस जारी करना
  • सरफेसी अधिनियम (SARFAESI Act, 2002) के तहत कार्रवाई
  • डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) में मामला दायर करना
  • सिविल कोर्ट में वसूली वाद दाखिल करना

SARFAESI अधिनियम के तहत कार्रवाई

यह अधिनियम बैंकों को बिना अदालत के हस्तक्षेप के गिरवी रखी गई संपत्ति पर कब्जा करने और उसे बेचने की अनुमति देता है। हालांकि, इसके लिए बैंक को:

  • 60 दिन का नोटिस देना होगा
  • कब्जे से पहले स्पष्ट सूचना देनी होगी
  • नियमानुसार नीलामी प्रक्रिया अपनानी होगी
See also  Supreme Court ने किराएदार और मकान मालिक के विवाद में दिया बड़ा फैसला, किराएदार ने नहीं दिया था किराया

3. सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

रिकवरी एजेंटों का दबाव

लोन वसूली के लिए नियुक्त एजेंट अक्सर नियमित फोन कॉल, घर या कार्यालय पर विजिट, और कभी-कभी आक्रामक वसूली तकनीकों का उपयोग करते हैं। हालांकि, RBI ने इस संबंध में कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं:

  • एजेंट केवल सुबह 7 बजे से रात 7 बजे के बीच ही संपर्क कर सकते हैं
  • धमकी या अपमानजनक भाषा का उपयोग प्रतिबंधित है
  • ऋणी की निजता का सम्मान किया जाना चाहिए

तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

वित्तीय संकट और ऋण के बोझ से अक्सर तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। एक अध्ययन के अनुसार, ऋण बोझ से पीड़ित 43% लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll to Top