किसान भाई सरसों की बुवाई के 35 दिन बाद जरूर करें ये काम, दो गुना बढ़ जाएगा उत्पादन
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किसान भाई सरसों की बुवाई के 35 दिन बाद जरूर करें ये काम, दो गुना बढ़ जाएगा उत्पादन

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नई दिल्ली :- हालांकि सरसों की फसल का देख-भाल करना भी बेहद जरूरी होता है. जरा सी चूक से फसल में तना गलन बीमारी लग जाती है. यह बीमारी फसलों को पूरी तरह से बर्वाद कर देता है. इस बीमारी के लगने पर किसान आसानी से छुटकारा पा सकते हैं. पूर्णिया कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के कृषि वैज्ञानिक दयानिधि चौबे ने बतया कि खरीफ सीजन के खत्म होते ही किसान कम अवधि वाले सरसों की खेती करते हैं. वही सरसों की खेती कम समय में ज्यादा मुनाफा देता है. उन्होंने बताया कि सरसों की खेती में किसानों को कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत होती है, ताकि उत्पादन बेहतर मिल सके.

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35 से 40 दिन बाद पहली सिंचाई

उन्होंने बताया कि वर्तमान मौसम में फसल की अनुकूलता को देखते हुए किसान को सरसों की बुवाई के लगभग 35 से 40 दिन बाद पहली सिंचाई करना चाहिए. इसके बाद यूरिया की आधी मात्रा (35 किलोग्राम) अवश्य डालना चाहिए. उन्होंने बताया कि ज्यादा पानी लगाने से तथा पानी का ठहराव ज्यादा समय तक होने से मिट्टी में पैदा होने वाली फफूंद रोगों के फैलने से तना गलन की बीमारी को पैदा करता है. इसलिए खेत में पानी जमा होने ना दें.

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दो बार छिड़काव

कृषि एक्सपर्ट ने बताया कि सरसों के पौधे में तना गलन रोग ना लगे, इसके लिए सबसे पहले खेत में पानी जमा होने ना दें और जब नमी खत्म हो, तभी हल्की सिंचाई करें. साथ ही तना गलन की समस्या से निजात पाने के लिए बुवाई के 45 से 50 दिन बाद कार्बेन्डाजिम का 0.1% (1 ग्राम प्रति लीटर) की दर से पहला छिड़काव करें. तना गलन की रोकथाम के लिए दो बार छिड़काव जरूर करें. वहीं दूसरी बार 65-70 दिन के बाद कार्बेन्डाजिम का 0.1% की दर से छिड़काव करें.

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स्प्रे करें

जिन किसानों ने पहले ही सरसों की फसल में सिंचाई कर ली है और फसल में यदि झुलसने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो किसान तुरंत स्ट्रेप्टोमाइसिन 200 पीपीएम (2 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का एवं कार्बेन्डाजिम का 0.2 प्रतिशत घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें. ध्यान रखें कि दवाई का छिड़काव संक्रमित भाग पर अवश्य पहुंचे. इसके लिए अच्छी तरह से स्प्रे करें.

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