नई दिल्ली 🏛️:- आज के डिजिटल युग में, जब UPI और ऑनलाइन भुगतान का चलन जोरों पर है, ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि एक आम नागरिक अपने घर में कितना कैश रख सकता है और इसके लिए क्या-क्या कानूनी दायरे हैं। अक्सर खबरें आती हैं कि किसी व्यक्ति के घर या ऑफिस पर छापा पड़ा और भारी मात्रा में नकदी, सोना-चांदी या कीमती सामान जब्त किया गया। लेकिन क्या वाकई घर में नकदी रखना गैरकानूनी है? आइए जानें इस पर क्या कहता है कानून ⚖️👇
🏠 घर में नकदी रखना: वैध या अवैध?
कानून विशेषज्ञों की मानें तो भारत में नकदी रखने की कोई तय सीमा नहीं है। यानी आप अपने घर में कितना भी पैसा रख सकते हैं – बशर्ते वह कानूनी और घोषित आय से प्राप्त हुआ हो।
👉 यदि नकदी का स्रोत स्पष्ट है और आपने उसे अपने ITR (Income Tax Return) में सही तरीके से दर्शाया है, तो उसे रखने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है।
👉 लेकिन अगर नकदी का स्रोत संदिग्ध है या आपकी घोषित आय से मेल नहीं खाता, तो आयकर विभाग पूछताछ कर सकता है।
🔍 बेहिसाब नकदी पर टैक्स विभाग की नज़र
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 68 से 69B तक के नियमों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के पास बेहिसाब नकदी पाई जाती है और वह उसका स्रोत नहीं बता पाता, तो इसे “अघोषित आय” माना जाएगा।
📌 इस अघोषित नकदी पर टैक्स के साथ भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
📌 अनुमानतः यह दर करीब 78% तक हो सकती है, जिसमें टैक्स, ब्याज और पेनल्टी शामिल हैं।
🧾 व्यवसायियों और आम नागरिकों के लिए अलग नियम
💼 बिजनेस से जुड़े व्यक्ति अगर घर में नकदी रखते हैं, तो उन्हें अपने कैश बुक और बैंक स्टेटमेंट में पूरा मिलान बैठाना होगा।
👥 आम नागरिकों के लिए भी नियम सख्त हैं – चाहे वो नकद उपहार हो या अन्य स्रोत से आई राशि, सब कुछ डिक्लेयर करना अनिवार्य है।
⚠️ ध्यान दें: भारत में एक बार में ₹2 लाख से अधिक नकद उपहार देना या लेना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर इनकम टैक्स एक्ट के तहत दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।
💳 डिजिटल लेन-देन की दिशा में बढ़ता भारत
सरकार और RBI दोनों ने नकद लेन-देन पर नियंत्रण रखने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं। मकसद है – कर चोरी को रोकना और पारदर्शिता बढ़ाना।
📱 डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देना इस रणनीति का एक अहम हिस्सा है, ताकि देश कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़े।