कौन-सा व्रत है लाभकारी

पितृदोष निवारण के लिए भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखना काफी शुभ जाता है, जो हर माह की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। अगर आप इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिव जी की पूजा करते हैं, तो इससे आपको पितृ दोष से राहत मिल सकती है। इसी के साथ पितृ दोष मुक्ति के लिए पितृपक्ष में आने वाली अमावस्या तिथि पर भी व्रत रखा जाता है। साथ ही इस तिथि पर पितरों का तर्पण आदि भी किया जाता है, ताकि पितृ प्रसन्न हो सकें और उनका आशीर्वाद व्यक्ति पर बना रहे।

कर सकते हैं ये काम

व्रत रखने के साथ-साथ पितृ दोष से मुक्ति के लिए रोजाना सुबह-शाम पूजा के बाद घर में कपूर जलानी चाहिए। इसी के साथ रोजाना मिट्टी के दीपक में तेल डालकर घर की दक्षिण दिशा दीपक जलाएं औप पितरों का ध्यान करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

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दरअसल दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना गया है। वहीं पितृ दोष निवारण के लिए पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए और उसकी सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।

करें इन मंत्रों का जाप

पितृ दोष से मुक्ति के लिए के 21 सोमवार तक गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। इससे आपको अपनी स्थिति में लाभ देखने को मिल सकता है।गायत्री मंत्र –ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥महामृत्युंजय मंत्र –ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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