नई दिल्ली :- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में आज गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैंकों के लिए अलग से इंटरनेट शुरू करने की घोषणा की. डिजिटल पेमेंट में धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया. साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए RBI ने भारतीय बैंकों के लिए ‘bank.in’ एक्सक्लूसिव इंटरनेट डोमेन को लॉन्च करने का फैसला लिया.
फाइनेंशियल सर्विसेज को मिलेगी अधिक सिक्योरिटी
बैंकों के लिए अलग से इंटरनेट शुरू करने का मकसद साइबर फ्रॉड और फिशिंग जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को कम करते हुए फाइनेंशियल सर्विसेज को सिक्योरिटी प्रदान करना है. ताकि डिजिटल बैंकिंग और पेमेंट सर्विस से अधिक से अधिक संख्या में लोग जुड़े और इन पर ग्राहकों का विश्वास बढ़े. इस दिशा में बैंकिंग प्रौद्योगिकी विकास एवं अनुसंधान संस्थान (आईडीआरबीटी) विशेष रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेगा. इस डोमेन के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अप्रैल, 2025 से शुरू होगी. बैंकों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे. आगे चलकर फाइनेंशियल सेक्टर में दूसरी गैर-बैंकिंग संस्थाओं के लिए ‘fin.in’ के नाम से एक अलग डोमेन रखने की भी योजना बनाई गई है.
एएफए डिजिटल सिक्योरिटी के लिए मददगार
बता दें कि बैंकिंग और पेमेंट सिस्टम में डिजिटल सिक्योरिटी को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक कई उपाय कर रहा है. डोमेस्टिक डिजिटल पेमेंट के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण कारक (एएफए) इन्हीं उपायों में से एक है. Additional Factor of Authentication को ऑफशोर व्यापारियों को किए जाने वाले ऑनलाइन इंटरनेश्नल डिजिटल पेमेंट तक बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसी के साथ RBI ने यह भी कहा कि बैंकों और एनबीएफसी को साइबर जोखिमों को कम करने के उपायों में निरंतर सुधार करते रहने चाहिए.