नई दिल्ली:- किसान साथियो गेहूं की फसल किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक और कृषि उत्पाद है। अच्छी फसल केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद नहीं करती, बल्कि देश के खाद्यान्न भंडार को भी मजबूत करती है। लेकिन यह तभी संभव है जब किसान सही समय पर सही तकनीकों और पोषक तत्वों का इस्तेमाल करें। इस लेख में, हम गेहूं की फसल में उच्च उत्पादन और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा करेंगे। आज हर किसान का सपना है कि उनकी फसल बेहतर गुणवत्ता और अधिक उत्पादन दे। इसके लिए समय पर सही कदम उठाना बेहद जरूरी है। सही तकनीक और पोषक तत्वों का इस्तेमाल करने से न केवल लागत कम होती है, बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होती है। यही वजह है कि इसे “लखपति फसल” का लक्ष्य कहा गया है, जहां किसान अपने खेत से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
पौधों को क्यों चाहिए होते है 16 से 17 पोषक तत्व? गेहूं की फसल के लिए 16-17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें फास्फोरस, नाइट्रोजन, पोटाश, सल्फर, जिंक और मैग्नीशियम जैसे तत्व प्रमुख हैं। ये तत्व पौधों की ग्रोथ, जड़ों के विकास और उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं।
1. फास्फोरस और नाइट्रोजन: पौधों की शुरुआती ग्रोथ और जड़ों की मजबूती के लिए।
2. पोटाश और सल्फर: फसल की गुणवत्ता और दानों के वजन को बढ़ाने के लिए।
3. जिंक और मैग्नीशियम: पौधों में फुटाव और टिलर की संख्या बढ़ाने के लिए।
यदि इनमें से किसी भी तत्व की कमी होती है, तो पौधों की वृद्धि रुक जाती है, उत्पादन घटता है और दानों की गुणवत्ता कमजोर हो जाती है।
जिंक की कमी होने पर उसकी पूर्ति कैसे करे जिंक गेहूं की फसल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी कमी से पौधों की ग्रोथ प्रभावित होती है, नई जड़ें धीमी बनती हैं और दानों का वजन कम हो जाता है। जिंक की पूर्ति के दो तरीके हैं:
1. खेत की तैयारी के दौरान
21% जिंक सल्फेट: 20 किलो प्रति एकड़
33% जिंक सल्फेट: 11-12 किलो प्रति एकड़
इनका प्रयोग खेत की तैयारी के समय करें। एक बार इसे खेत में मिलाने के बाद, 1-2 साल तक जिंक की अलग से आवश्यकता नहीं होती।
2. स्प्रे विधि से जिंक की पूर्ति स्प्रे के माध्यम से जिंक की कमी को पूरा करने का तरीका:
21% जिंक सल्फेट: 1 किलो
33% जिंक सल्फेट: 700 ग्राम
बुझा हुआ चुना: 500 ग्राम
यूरिया: 1 किलो
मैग्नी सल्फेट: 1 किलो
पानी: 200 लीटर (ताजा पानी)
यह स्प्रे दो बार करें: 1. पहली सिंचाई से पहले। 2. दूसरी सिंचाई के समय।
स्प्रे से पौधों को सीधे पोषण मिलता है, जिससे उनकी ग्रोथ और उत्पादन में तेजी आती है।
गेहूं की पत्तिया पिली पड़ने का क्या कार्ण है सल्फर की कमी से पौधों की पत्तियों पर पीले धब्बे दिखने लगते हैं। इससे न केवल पौधों की ग्रोथ प्रभावित होती है, बल्कि उत्पादन भी कम हो जाता है।
1. यदि डीएपी खाद का प्रयोग किया गया है: 10 किलो सल्फर प्रति एकड़ डालें।
2. यदि सिंगल सुपर फास्फेट खाद का उपयोग किया गया है: अलग से सल्फर की जरूरत नहीं होती।
गेहूं में कब करना स्प्रे करना चाहिए
स्प्रे का सही समय गेहूं की फसल की “क्रांतिक अवस्था” है, जब पौधों की ग्रोथ और फुटाव होता है। यदि स्प्रे में देरी होती है, तो खर्च बढ़ सकता है और परिणाम उतने प्रभावी नहीं होंगे। पिछले वर्षों में जिन किसानों ने सही तकनीक और पोषक तत्वों का उपयोग किया, उनकी फसल ने बेहतरीन उत्पादन दिया। उनकी फसल न केवल अधिक लहलहाई बल्कि बेहतर गुणवत्ता भी प्रदान की। यह साबित करता है कि समय पर सही कदम उठाने से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।