Supreme Court ने किराएदार और मकान मालिक के विवाद में दिया बड़ा फैसला, किराएदार ने नहीं दिया था किराया
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Supreme Court ने किराएदार और मकान मालिक के विवाद में दिया बड़ा फैसला, किराएदार ने नहीं दिया था किराया

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नई दिल्ली :- किराएदारी कानून में मकान मालिक और किराएदार के लिए अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं। इनमें मकान मालिक की ओर  से अपनी प्रोपर्टी को किराए पर देने से जुड़े नियम तो हैं ही, किराएदार(landlord and tenant property rights) के लिए भी कई नियमों का पालन करने की शर्तें लागू हैं। सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार की ओर से किराया न देने के एक मामले में बड़ा निर्णय सुनाया है। सु्प्रीम कोर्ट का यह फैसला किराएदारों और मकान मालिकों के अधिकारों को और अधिक स्पष्ट कर रहा है।

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यह था मामला-

सुप्रीम कोर्ट में आए इस मामले में किराएदार ने अपने मकान मालिक को एक या दो माह नहीं, बल्कि तीन साल तक का किराया नहीं चुकाया था। इससे पहले प्रोपर्टी मालिक किराएदार को प्रोपर्टी (tenant landlord property rights)का किराया देने और अपनी संपत्ति को खाली करने के लिए किराएदार से कह चुका था।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया यह फैसला-

मामले के अनुसार एक किराएदार ने मकान मालिक को घर खाली करने मना कर दिया था। मकान मालिक इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया और यहां सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court news) ने मकान मालिक के हक में बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट से किराएदार को कोई राहत नहीं मिली। इस मामले में कोर्ट ने अहम टिप्पणी भी की है। अब कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए किराएदार को पिछला किराया देने के आदेश दिए हैं।

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किराएदार नहीं कर सकता मनमर्जी-

कानून के अनुसार किराएदार और प्रोपर्टी मालिक के लिए अलग-अलग अधिकार हैं। दोनों ही इन नियमों का उल्लंघन करते हुए मनमानी नहीं कर सकते। कोर्ट की 3 सदस्यीय बैंच ने इस केस में सुनवाई की।  किराएदार (Supreme Court Decision for tenant) को किसी भी प्रकार की राहत देने से कोर्ट ने मना कर दिया है। किराएदार को अब जल्द ही किराए की बकाया राशि देने के साथ ही मकान को भी खाली करना होगी।

किरायेदार को कोर्ट ने दिया इतना समय-

सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार को मकान के किराये की बकाया राशि जमा कराने के लिए कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया। इस मामले में किराएदार के  वकील ने कोर्ट से बकाया किराया जमा करने के लिए समय मांगा था। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी (Supreme Court)करते हुए कहा कि किराएदार को यह छूट नहीं दी जा सकती। उसने प्रोपर्टी मालिक को परेशान किया है, ऐसे में किराएदार किसी प्रकार की राहत का हकदार नहीं है। अब किरायेदार को प्रोपर्टी खाली करनी होगी और जितना जल्द हो सके किराया देना होगा।

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किराएदार ने की थी अवमानना-

यह मामला पहले निचली अदालत में था तो भी मकान मालिक के हक में ही फैसला आया था। निचली कोर्ट ने किरायेदार को प्रोपर्टी (property rights) खाली करने सहित किराया जमा करने के आदेश दिए थे। इसके लिए तब 2 माह का समय भी दिया गया था। इसके अलावा कोर्ट ने मामला कोर्ट में पहुंचने से लेकर अब तक 35000 महीने के हिसाब से किराया चुकता करने के निर्देश दिए थे। इन आदेशों की कोर्ट ने अवमानना की थी। मकान मालिक के अनुसर किराएदार (tenant  rights in law) ने तीन साल का मकान का किराया मकान मालिक को नहीं दिया था।

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याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

तीन साल तक का किराया न देने के अलावा किराएदार (tenant vs property owner supreme court case) मकान खाली करने से भी मना कर रहा था। इसके बाद मकान मालिक को कोर्ट में जाना पड़ा। निचली अदालत में किराएदार को राहत नहीं मिली तो वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मामले को ले गया। यहां भी उसे कोई राहत नहीं मिली और फैसला मकान मालिक के हक में दिया गया। हाई कोर्ट ने मकान के कराए की बकाया राशि 9 लाख रुपये जमा कराने के लिए किराएदार को कुछ माह का समय दिया। यहां हारने के बाद किराएदार ने ही सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में इस मामले को दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार की याचिका को खारिज करते हुए मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुना दिया।

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