नई दिल्ली :- आज के समय में ज्यादातर युवाओं का रुझान खुद के रोजगार की तरफ है. फिर चाहे वो ग्रामीण क्षेत्र के युवा हों या शहरी क्षेत्र के युवा. कई युवा अपने नए-नए इनोवेशन से नए-नए स्टार्टअप कर दुनिया को हैरान कर चुके हैं. वे अपने नए स्टार्टअप को बड़ी कंपनियों के तौर पर स्टेब्लिश भी कर चुके हैं और सफलता की नई सीढ़ियों को चढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी खुद का रोजगार शुरू करना चाह रहे हैं तो पशुपालन एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है. इसके लिए कुछ ऐसी देसी नस्ल की गाय हैं, जो आपके करोड़ों का मुनाफा पहुंचा सकती हैं.
देसी नस्ल के गायों की खूबियां
शहडोल के पशु चिकित्सक डॉ. आरपी गुप्ता देसी नस्ल की गायों की खूबियां गिनाते हुए बताते हैं कि “कई भारतीय गाय अच्छी नस्ल की हैं. सबसे बड़ी बात है कि इन गायों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और ये गायें जल्दी बीमार नहीं पड़ती हैं. इसके साथ ही यदि देसी नस्ल की गायों को एवरेज खाना भी दिया जाए, तब भी वे अच्छी मात्रा में दूध देती हैं.
कम खर्चे में देसी गाय का पालन
देसी नस्ल की गायों के देखरेख में अन्य हाइब्रिड गायों की तरह परेशानी नहीं होती है. देशी गाय के पालन में पशुपालक को काफी कम खर्च पड़ता है और अधिक मुनाफा होता है. आरपी गुप्ता बताते हैं कि “अपने यहां (भारत में) 2 तरह की गाय पाई जाती हैं. एक जिनका पालन केवल दूध उत्पादन के लिए किया जाता है. दूसरा जो भार ढोने के लिए किया जाता है. हालांकि इन नस्लों की गाय भी अच्छा दूध देती हैं.”
कमाल की हैं ये देसी नस्ल की गाय
डॉ. आरपी गुप्ता ने कुछ मुख्य देसी गाय के बारे में बात की, आइए एक-एक कर जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
साहिवाल गाय
डॉ. आरपी गुप्ता बताते हैं साहिवाल उत्तम नस्ल की गाय मानी जाती है. साहिवाल का दूध भी अच्छा रहता है. ये गाय पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाई जाती है. साहिवाल गाय एक दुग्ध काल के दौरान 1 साल में लगभग 2100 लीटर दूध का उत्पादन करती है. साहिवाल गाय एक दिन में 15 से 20 लीटर तक दूध का उत्पादन करती है.
सिंध नस्ल की गाय
सिंध नस्ल की गाय का ओरिजिन पाकिस्तान के कराची, सिंध है. ये नस्ल भी पंजाब और हरियाणा की ओर पाई जाती हैं, उनका दूध उत्पादन एक दुग्ध काल में करीब 2100 लीटर होता है. अगर अच्छी जीन वाली गाय मिल जाये तो ये एक दुग्ध काल के दौरान एक साल में 5 हजार लीटर तक दूध देती हैं.
गिर नस्ल की गाय
गिर गुजरात के गिर फॉरेस्ट और काठियावाड़ की नस्ल है. इसकी बड़ी-बड़ी सींग होती है और कान लटके रहते हैं. ये गाय अपने दुग्ध पीरियड के दौरान एक साल में लगभग 2 हजार लीटर दूध देती है. इसके अलावा दियोनी नस्ल की गाय आंध्र प्रदेश में पाई जाती है. हरियाणा में हरियाणवी नस्ल की गाय पाई जाती है. जो एक दिन में करीब 15 से 20 लीटर दूध देती है. मालवा में मालवीय नस्ल की गाय पाए जाते हैं. वहीं, ड्रॉट, थारपारकर, कांग्रेज आदि ब्रीड हैं जो अच्छा दूध उत्पादन देती हैं. इन नस्लों के बैल का काम भार ढोने और खेत की जुताई के लिए भी किया जाता है.
पशुपालन कर कमा सकते हैं पैसे
डॉ. आरपी गुप्ता कहते हैं कि “इन देसी नस्ल की गायों का पालन कर अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है. इसके अलावा गायों के गोबर से भी पैसे अर्जित किये जा सकते हैं. यदि अच्छे से पशुपालन किया जाए तो बड़े पैमाने पर दूध का रोजगार किया जा सकता है. इसमें लोगों को रोजगार देकर एक बड़ा बिजनेस बनाया जा सकता है.”