भारत के दो चर्चित बैंक हुए बंद ,पैसे डुबने से मचा हाहाकार
Advertisements

भारत के दो चर्चित बैंक हुए बंद ,पैसे डुबने से मचा हाहाकार

Advertisements

नई दिल्ली :- भारत में बैंकों की संचालन व्यवस्था और देखरेख भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधीन होती है। अगर कोई बैंक नियमों का उल्लंघन करता है या वित्तीय संकट में फंस जाता है, तो आरबीआई उस पर कड़ी कार्रवाई करता है। हाल ही में, आरबीआई ने दो बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया है। आइए जानते हैं इस पूरी प्रक्रिया और ग्राहकों को मिलने वाले लाभ के बारे में।

Join WhatsApp Group Join Now
Join Telegram Group Join Now

   
Advertisements

कौन-कौन से बैंक बंद हुए?

आरबीआई ने हाल ही में महाराष्ट्र के जयप्रकाश नारायण नगरी सहकारी बैंक, बसंतनगर और The City Cooperative Bank का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इन बैंकों की वित्तीय स्थिति कमजोर थी, और वे अपने ग्राहकों को उनका पैसा लौटाने में असमर्थ थे। आरबीआई ने नियमों का उल्लंघन करने और ग्राहकों की जमा राशि को सुरक्षित रखने में विफल रहने पर यह सख्त कदम उठाया।

बैंक का लाइसेंस क्यों रद्द होता है?

जब किसी बैंक की वित्तीय स्थिति खराब हो जाती है या वह नियमों का पालन नहीं करता है, तो आरबीआई उस पर जुर्माना लगाता है। यदि बैंक लगातार अपनी स्थिति में सुधार करने में असमर्थ रहता है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

Advertisements
See also  अब पंजाब नेशनल बैंक से आधार कार्ड पर एक लाख तक का लोन, अभी ऐसे करें अप्लाई

लाइसेंस रद्द होने के बाद क्या होता है?

जब किसी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है, तो वह बैंक सभी बैंकिंग सेवाएं बंद कर देता है।

  • बैंक न तो नए डिपॉजिट ले सकता है और न ही ग्राहकों को पैसे लौटा सकता है।
  • आरबीआई बैंक के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा देता है।
  • बैंक के परिसंपत्तियों को बेचकर ग्राहकों को उनका पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

ग्राहकों को कितना पैसा वापस मिलता है?

अगर किसी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है, तो ग्राहकों को उनकी जमा राशि का ₹500000 तक वापस मिलता है। यह राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) के माध्यम से दी जाती है।

  • इस प्रक्रिया के तहत, बैंक के खाताधारकों को उनके पैसे लिक्विडेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद लौटाए जाते हैं।
  • ₹500000 की यह सीमा एक ग्राहक के कुल जमा धन पर लागू होती है, चाहे वह राशि बचत खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट या किसी अन्य खाते में हो।
See also  इन सरकारी बैंकों के ग्राहकों के लिए बुरी खबर, सरकार कर रही है

डीआईसीजीसी क्या है?

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) एक सरकारी संस्था है, जो बैंकों में जमा धनराशि को बीमा कवर प्रदान करती है।

  • यदि बैंक डूब जाता है या उसका लाइसेंस रद्द हो जाता है, तो यह संस्था खाताधारकों को उनकी जमा राशि का बीमा कवर देती है।
  • ₹500000 तक की राशि खाताधारकों को वापस मिलती है।

ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

बैंक का लाइसेंस रद्द होने की स्थिति में ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्हें निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  1. डीआईसीजीसी से संपर्क करें: अपनी जमा राशि की वापसी के लिए डीआईसीजीसी की प्रक्रिया को समझें और उसमें भाग लें।
  2. धैर्य बनाए रखें: लिक्विडेशन प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है, इसलिए धैर्य रखना जरूरी है।
  3. आरबीआई के निर्देशों का पालन करें: ग्राहकों को आरबीआई द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए।

आरबीआई की सख्त कार्रवाई क्यों जरूरी है?

आरबीआई का मुख्य उद्देश्य बैंकों के संचालन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है। अगर कोई बैंक नियमों का पालन नहीं करता है, तो इससे ग्राहकों के पैसे पर खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे में, आरबीआई की सख्त कार्रवाई ग्राहकों के हित में होती है।

  • वित्तीय संकट में फंसे बैंकों को बंद करके, आरबीआई ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • साथ ही, यह कदम अन्य बैंकों को भी नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।
See also  अब बैंक धारकों को अकाउंट में रखना होगा इतना बैलेंस, नहीं तो कट जाएगा सारा पैसा

कैसे बचें ऐसे संकट से?

ग्राहकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे केवल विश्वसनीय और अच्छी वित्तीय स्थिति वाले बैंकों में ही अपना पैसा जमा करें।

  • बैंक की वित्तीय स्थिति की जांच करें: किसी भी बैंक में खाता खोलने से पहले उसकी स्थिति और प्रतिष्ठा को जानें।
  • डीआईसीजीसी कवरेज को समझें: अपने जमा धनराशि को ₹500000 की सीमा के भीतर रखें, ताकि पूरी राशि सुरक्षित रहे।

बैंक का लाइसेंस रद्द होना ग्राहकों के लिए चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन आरबीआई और डीआईसीजीसी की प्रक्रिया उनके पैसे को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई है। ग्राहकों को घबराने की बजाय धैर्य रखना चाहिए और आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। इस स्थिति से बचने के लिए ग्राहकों को जागरूक और सतर्क रहना चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll to Top